Friday 19 April 2019
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"ख़ूबसूरत खरपतवार इंसानियत"
"ख़ूबसूरत खरपतवार" "इंसानियत ख़ूबसूरत खरपतवार की तरह चाहे जहाँ उग तो आती है पर जब ये हमारे स्वार्थ की फसल के हिस्से की ख...
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"मेरी हमसफ़र" मेरी हर ख़ुशी में शरीक हो हर मुश्किल में वो मेरे करीब हो वो मेहताब भले ना हो आफताब भी ना हो पर उसके रहने से...
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"आत्मीयता" अपने रिश्तों में आत्मीयता मुझे कभी मिली नहीं किसी के विवाहोत्सव या जन्मोत्सव में सम्मिलित होना किसी की अर्थी को ...
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'ओ' मेरी बेटी जब रसोई में, अपने छोटे छोटे हाथों से आटे का गुड्डा, आटे का चूहा बनाती हो तुम अपने से बड़े बर्तन उठाती, जमाती हो ...
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