" बहुत पहले की बात है "
बहुत पहले की बात है
कुछ ऐसे ही शुरू करती थी माँ
सुन्दर राजकुमारी, शक्तिशाली राक्षस
भयानक जंगल, बोलते पत्थर
जादुई घोड़ा, तिलिस्मी तलवार
बहादुर गरीब लड़का मुझे ही बनाती थी माँ
जो हरा दिया करता था राक्षस को
राजकुमारी से मेरा ब्याह करवाती थी माँ
फिर क्या हुआ फिर क्या हुआ ...
एक नया राक्षस ले आती थी माँ
सच को हमेशा जिता देती थी माँ
मुझमे आत्मविश्वास जगाकर
मुझे साहसी बनाकर
सुला देती थी माँ
~ ध्रुव प्रवाह (GJ) ५ अगस्त २०१४(संध्या ७ :१५ बजे)
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