"आत्मीयता"
अपने रिश्तों में आत्मीयता मुझे कभी मिली नहीं
किसी के विवाहोत्सव या जन्मोत्सव में सम्मिलित होना
किसी की अर्थी को कांधा देना, दाहसंस्कार का साक्षी होना
आपके लिए रिश्तेदारी होगी मेरे लिए "नहीं"
कुछ अपवाद भी हैं शत प्रतिशत ऐसा नहीं
किसी संकटग्रस्त प्रजाति की तरह दोनों (आत्मीयता + रिश्तेदारी) साथ दिख जाते हैं कभी-कभी कहीं-कहीं
आत्मीयता के बिना रिश्ते निष्प्राण शरीर हैं या नहीं?
मान-अपमान, लाभ-हानि सांसारिक वस्तुओं से अधिक
कुछ नहीं कुछ नहीं
जब तक आत्मा शरीर में थी, आप इस बात को समझे नहीं
किसी के जीते जी आपने उसे याद किया नहीं,
उसके गले लगके आप रोये नहीं,
प्रेम के दो शब्द कहे नहीं सुने नहीं,,
शरीर और स्मृतियाँ जो शेष हैं वो तो माँ भाई बहन नहीं
पञ्च भूतों में मिलने को आतुर शव, सुन समझ सकता नहीं
तुम्हारी आत्मीयता अब उसकी ज़रुरत नहीं
पर तुम जताओगे, मानोगे नहीं
जो अपने काम का नहीं, वही दूसरों को देते आये हो, तुम सुधरोगे नहीं
~ ध्रुव प्रवाह (GJ) ०२/०२/२०१५, सोमवार, ११:२५ सुबह
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